शनिवार, 5 अप्रैल 2014

भूख तो मार ही डालती..


कुछ दिन पहले हमारे एक मित्र अपने तीन मित्रों के साथ फिल्म देखने गए। रात का शो था इसलिए लौटने में रात के साढ़े ग्यारह बज गए। भूख तेज लगी थी..इतनी रात को कहीं कुछ खाने के लिए नहीं दिख रहा था।कमरे पर पहुंचकर खाना बनाते तब कहीं जाकर खाते..। लेकिन यहां तो भूख के मारे जान जा रही थी। रास्ते भर सड़क किनारे घूरते हुुए चले आ रहे थे कि कहीं कुछ खाने को मिले तो जान में जान आए। काफी दूर चलने के बाद बाटी चोखा बिकने वाला एक ठेला दिखा। मित्र अपने दोस्तों के साथ दौड़े  जैसे जो पहले पहुंचेगा वो ज्यादा खाएगा।बाटी -चोखा वाला सारा सामान समेट चुका था और अपने लिए पांच बाटियां सेंक रहा था। इन लोगों ने उससे निवेदन किया कि बड़ी भूख लगी है कुछ खिला दो। वह बोला सिर्फ पांच बाटियां हैं ..दिन भर बेंच कर थक गया हूं ..जोर की भूख लगी है मुझे ..मैं किसी को नहीं खिलाउंगा। इन लोगों ने कहा चाहे जितने पैसे ले लो...लेकिन खिला दो। वह बोला बाटी अभी कच्ची है..उपले ठंडे पड़ गए हैं...ठीक से सेंक नही पाया हूं...।चारों ने चार कच्ची बाटियां उठायी और राक्षसों की तरह खाने लगे..हालांकि बाटी मुंह में जाने पर गीला आटा बन चुका था। लेकिन भूख में उन्हें यह किसी अमृत से कम नहीं लग रहा था। सिर्फ एक बाटी बची थी जो बेचने वाला खाया।

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